
श्री विनय कुमार सक्सेना
श्री वी. के. सक्सेना ने दिल्ली के 22वें उपराज्यपाल के रूप में 26 मई 2022 को शपथ ग्रहण की थी। श्री सक्सेना को कार्पोरेट और सामाजिक क्षेत्र में कार्यों का करीब तीन दशकों का लंबा अनुभव है और वह कॉर्पोरेट क्षेत्र से राज्यपाल जैसे प्रतिष्ठित पद पर चुने गए प्रथम व्यक्ति हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल के रूप में पदभार ग्रहण करने से पूर्व श्री सक्सेना अक्टूबर 2015 से लेकर मई 2022 तक खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के चेयरमैन थे। केवीआईसी के प्रमुख रहते हुए श्री सक्सेना ने खादी और ग्रामोद्योग को नए आयाम दिए, वैज्ञानिक तकनीकों को नियोजित करने के अलावा उन्होंने कई नवोन्मेषी परियोजनाओं को लागू किया, जिससे खादी के कारीगरों के जीवन में अमूल-चूक परिवर्तन आया और इससे संबद्धित दूसरे उद्योगों को मजबूती मिली। और पढ़ें
श्री सक्सेना का जन्म 23 मार्च 1958 को उत्तर प्रदेश के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उन्होंने 1981 में कानपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उनके पास पायलट का लाइसेंस भी है। सामाजिक, कॉर्पोरेट, तकनीकी, कानूनी, और सांस्कृतिक कौशल जैसे विविध क्षेत्रों में उनका व्यापक दृष्टिकोण ही उन्हें जनहितैषी और कॉर्पोरेट वैज्ञानिक के रूप में स्थापित करता है। व्यवसायिक क्षेत्र के विभिन्न स्वरूपों जैसे- उद्योग, एमएसएमई, पेट्रोलियम और पोर्ट, तकनीक समेत कानूनी, सामाजिक और सांस्कृतिक कौशल की अपनी नेतृत्व क्षमता की बदौलत वह हमेशा ही आगे आकर समाजिक विकास से जुड़े हर मुद्दे को जैसे- जल संसाधन विकास, समाज में व्याप्त बुराइयों और कुप्रथाओं, आपदा प्रबंधन समर्थन और शहर की साफ-सफाई के मुद्दों को उठाते आए हैं और इनका नेतृत्व करते आए हैं।
श्री सक्सेना ने अपना करियर राजस्थान में जेके ग्रुप में बतौर सहायक अधिकारी के रूप में शुरू किया था। व्हाइट सीमेंट प्लांट में करीब 11 वर्षों के कार्यकाल में वह विभिन्न विभागों और पदों पर रहे। 1995 में उन्हें गुजरात की प्रस्तावित बंदरगाह परियोजना के दौरान महाप्रबंधक बनाया गया। इसके बाद वह पहले सीईओ और बाद में धोलेरा बंदरगाह परियोजना के डायरेक्टर बनाए गए।
कम पढ़ेंआखें लगभग सभी के पास होती हैं, लेकिन दृष्टिकोण केवल कुछ लोगों के ही पास होता है। 17 मई 2008 को एक भारतीय ने देखा कि महात्मा गांधी की प्रतिमा एक आइसक्रीम पार्लर की दूसरी मंजिल पर एक डस्टबिन के पास रखी थी। जबकि दुनिया की दूसरी बड़ी हस्तियों की प्रतिमाएं लंदन के मैडम तुसाद वैक्स म्यूजियम में रखी गई थीं। उस व्यक्ति ने इस मुद्दे को उठाया और ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री गोर्डन ब्राउन को एक पत्र लिखा।
इस पत्र में लिखा गया कि “क्या यह विरोधाभास नहीं है कि एक सदी पहले दक्षिण अफ्रीका में जिस व्यक्ति ने रंगभेद के खिलाफ पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया था वह व्यक्ति आज उसी निंदनीय विचारों की त्रासदी झेल रहा है, और हम मानते हैं कि यह बुराई अथवा सोज अब समाप्त हो चुकी है?, क्या यह भारत और उसके ऐतिहासिक सम्मान के रोल मॉडल के खिलाफ नस्लीय पूर्वाग्रह नहीं है?"
इस पत्र का संज्ञान लेते हुए संग्रहालय के कार्यालय द्वारा माफी मांगी गई और महात्मा गांधी की प्रतिमा को तुरंत विश्व के दूसरी नामचीन हस्तियों के साथ भूतल पर प्रदर्शनी हॉल में स्थानांतरित कर दिया गया।
संयोग से यह पत्र लिखकर संग्रहालय प्रशासन को माफी मांगने के लिए बाधित करने वाले विनय कुमार सक्सेना को ही बाद में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। केवीआईसी गांधीवादी दर्शन के माध्यम से ग्रामीण पुनरुत्थान (ग्रामोदय) के बापू के सपनों को पूरा करने वाला एक संगठन है।
अक्टूबर 2015 में केवीआईसी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के बाद श्री सक्सेना ने न केवल खादी और ग्रामोद्योग के दूसरे क्षेत्रों की खोज की, बल्कि गरीबों और वंचितों के जीवन में आमूल-चूल परिवर्तन लाने वाली कई अभिनव योजनाएं जैसे शहद मिशन, कुम्हार सशक्तिकरण योजना और चमड़ा कारीगरों के लिए सशक्तिकरण योजनाओं की शुरूआत कर उन्हें सफलतापूर्वक लागू भी किया। साथ ही श्री सक्सेना ने प्लास्टिक-मिश्रित हस्तनिर्मित कागज और खादी प्राकृतिक पेंट, गाय के गोबर से बने भारत के पहले डिस्टेंपर के नवाचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके लिए पेटेंट सर्टिफिकेट भी हासिल हुआ था।
वर्ष 2015 में जब श्री सक्सेना ने खादी और ग्रामोद्योग आयोग की कमान संभाली थी उसके मुकाबले अगले करीब साढ़े छह वर्षों में उन्होंने हर स्तर पर खारिज की जा चुकी खादी को वैश्विक मंच दिलाया और पूरी दुनिया में खादी को एक विश्वसनीय और भारतीय ब्रांड के रूप में स्थापित किया। श्री सक्सेना के नेतृत्व में केवीआईसी के टर्नओवर में रिकॉर्ड 248 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जबकि सात वर्षों से भी कम समय में इससे 43 लाख लोगों को रोजगार मिला। श्री सक्सेना के नेतृत्व में ऐसा पहली बार हुआ कि केवीआईसी ने वर्ष 2021-22 में पहली बार सवा लाख करोड़ का ऐतिहासिक टर्नओवर हासिल किया, जो कि भारत में किसी भी एफएमसीजी कंपनी में सबसे अधिक था। श्री सक्सेना ने 55000 नए मॉडल चरखों और 11000 मॉर्डन लूम का सफलतापूर्वक वितरण सुनिश्चित किया, जो कि खादि कमीशन के इतिहास में एक रिकॉर्ड है।
हनी मिशन
10 दिसंबर 2016 को माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गुजरात के बनासकांठा जिले के दीसा में बनास हनी परियोजना की शुरुआत के दिए गए मीठी क्रांति के आह्वान के बाद, श्री सक्सेना ने 'हनी मिशन' के एक प्रोजेक्ट का मसौदा तैयार किया जो अगस्त 2017 में राष्ट्रपति भवन द्वारा लॉन्च किया गया। इसके बाद केवीआईसी ने पूरे देश में किसानों, आदिवासियों, महिलाओं और बेरोजगार युवाओं की पहचान की और असम के घने वन क्षेत्रों से लेकर नर्मदा घाटी के आदिवासी इलाके और जम्मू-कश्मीर की पहाड़ी घाटियों से लेकर वाराणसी के गंगा के मैदानों तक मधुमक्खियों की कालोनियों वाले बॉक्स वितरित किए। केवीआईसी के अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल में वर्ष 2017 और 2022 के बीच लगभग 1.70 लाख मधुमक्खी-बॉक्स वितरित किए गए। रोजगार सृजित करने और शहद उत्पादन बढ़ाने के अलावा, शहद मिशन ने देश में 9000 मिलियन मधुमक्खियों के माध्यम से पर्यावरण को भी कई तरह से फायदा पहुंचाया।
कुम्हार सशक्तिकरण योजना
2015 से पहले किसी ने यह सोचा भी नहीं था कि कुम्हार समुदाय के लिए एक दिन ऐसा भी आएगा जब माननीय प्रधान मंत्री इस समुदाय को सशक्त बनाने और इसे विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की बात करेंगे। श्री सक्सेना ने केवीआईसी अध्यक्ष के रूप में पहली बार इस वंचित समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने और माननीय प्रधान मंत्री के सपनों को पूरा करने के लिए महत्वाकांक्षी कुम्हार सशक्तिकरण योजना का मसौदा तैयार करने की व्यक्तिगत पहल की। कुम्हारों को मिले व्यापक प्रशिक्षण, 25,000 इलेक्ट्रिक चाकों और मिट्टी के बर्तनों के अन्य उपकरणों के वितरण से उनके उत्पादन और आय में कई गुना वृद्धि हुई। इस प्रकार श्री सक्सेना के मार्गदर्शन में कुम्हारों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आया। उन्होंने कुम्हारों को बेहतर विपणन प्रचार प्रदान करने के लिए भारतीय रेलवे सहित कई सरकारी और गैर-सरकारी निकायों से संपर्क किया। इसका नतीजा यह हुआ कि तीन वर्षों से भी कम समय में कुम्हार समुदाय के लिए एक लाख से अधिक नौकरियां सृजित की जा सकीं।
चमड़ा कारीगर सशक्तिकरण योजना
चमड़ा कारीगर सशक्तिकरण' योजना से श्री सक्सेना का मानवीय पक्ष सामने आया। मोची समुदाय के सामाजिक महत्व को सभी के सामने रखने वाली यह देश में अपनी तरह की पहली योजना थी। उन्होंने हाशिए पर पड़े इस समुदाय को चर्म चिकित्सक जैसे एक अधिक प्रतिष्ठित नाम में परिवर्तित कर दिया। उन्हें आधुनिक टूलकिट प्रदान किए गए और सड़क किनारे उनके कार्यस्थल का नाम जूते चप्पलों का ब्यूटी पार्लर रखा गया। अपनी तरह की पहली सुविधा के रूप में उन्होंने दिल्ली के राजघाट और वाराणसी में चमड़े के कारीगरों के लिए दो फुटवियर प्रशिक्षण केंद्र भी खोले।
श्री सक्सेना ने खादी को स्थानीय से वैश्विक और बड़े शहरों से देश के दूरस्थ हिस्सों तक सफलतापूर्वक पहुंचाया। लेह-लद्दाख क्षेत्र की क्राल बहुल बस्तियां, काजीरंगा के मिशिंग जनजातियों के गांव, पश्चिम बंगाल में सुंदरबन डेल्टा के बाली द्वीप या नर्मदा घाटी के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में रहने वाली बाघ-विधवाओं (Tiger Widow) का जीवन कताई और बुनाई की गतिविधियों से पूरी तरह से बदल गया। आजादी के बाद से यह किसी भी सरकारी एजेंसियों से पूरी तरह से अछूती थीं।
जब कोविड-19 महामारी के कारण दुनिया की कई शीर्ष अर्थव्यवस्थाएं लड़खड़ा गई थीं, तब श्री सक्सेना ने विश्व स्तर पर प्रशंसित खादी फेस मास्क के उत्पादन से भारत में आए संकट को एक अवसर में परिवर्तित कर दिया। बेहद कम कीमत पर वैज्ञानिक रूप से बनाए गए, त्वचा के अनुकूल और बायोडिग्रेडेबल कॉटन और सिल्क फेस मास्क न केवल कोरोना महामारी से लड़ने का सबसे प्रभावी साधन बने बल्कि हजारों खादी कारीगरों को स्वरोजगार प्रदान कर उन्हें आर्थिक संकट से भी बचाया।
श्री सक्सेना के नेतृत्व में केवीआईसी ने साढ़े छह वर्षों में अपनी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लगभग 43 लाख लोगों को रोजगार मिला। इसमें पीएमईजीपी के तहत 37 लाख नौकरियां, खादी क्षेत्र में 3 लाख नौकरियां, कुम्हार सशक्तिकरण योजना के तहत 1.25 लाख और 2015-16 में हनी मिशन के तहत 50,000 नौकरियां शामिल हैं।
- 5 मई 2021 को भारत सरकार ने श्री सक्सेना को भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए बनाई गई राष्ट्रीय समिति में सदस्य के रूप में नियुक्त किया। इस समिति की अध्यक्षता माननीय प्रधान मंत्री करते हैं और इसमें पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व प्रधान मंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और अन्य सदस्य के रूप में शामिल होते हैं।
- नवंबर 2020 में, श्री सक्सेना को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2021 के लिए उच्चाधिकार प्राप्त पद्म पुरस्कार चयन समिति के सदस्य के रूप में नामित किया गया। यह समिति पद्म पुरस्कारों के लिए प्राप्त नामांकनों की जांच करने के लिए उत्तरदायी है।
- 9 सितंबर 2020 को श्री सक्सेना को सेंटर फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी की रिसर्च काउंसिल का सदस्य नामित किया गया था। अनुसंधान परिषद संस्थान के सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है। इसका उद्देश्य हिमालयी जैव-संसाधनों के सतत उपयोग के माध्यम से जैव-अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना, तकनीक और विज्ञान के उपयोग से हिमालयी जैव-संसाधनों की खोज, विकास और व्यावसायीकरण करना है।
- भारत के माननीय राष्ट्रपति ने 18 मार्च 2019 को श्री सक्सेना को तीन वर्ष के लिए नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय न्यायालय के सदस्य के रूप में नामित किया, जो विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था है।
- माननीय प्रधान मंत्री द्वारा 2016 से 2020 तक हर वर्ष श्री सक्सेना को लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधान मंत्री पुरस्कार के मूल्यांकन के लिए अधिकार प्राप्त समिति के सदस्य के रूप में नामित किया गया था। इस उच्चाधिकार प्राप्त समिति की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करते हैं और प्रधान मंत्री के अतिरिक्त अन्य सदस्य के रूप में प्रधान सचिव, सीईओ नीति आयोग और सचिव प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत होते हैं।
- सितंबर 2017: खादी को देश और दुनिया में एक बड़ा ब्रांड बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए वर्ष 2017 में लग्जरी लीग अवार्ड प्रदान किया गया।
- मई 2008: पर्यावरण की सुरक्षा और जल सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए युनाइटेड नेशंस डिकेड ऑफ सस्टेनेबल डेवलेपमेंट (यूएनडीईएसडी), यूनेस्को, यूनीसेफ, यूएनडीपी ने इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एजूकेशन फॉर वर्ल्ड पीस (आईएईडब्ल्यूपी), अमेरिका, (यूएन एनजीओ) और सोशल ऑर्गेनाइजेशन फॉर हैल्थ-ह्यूमन एंड मैनेजमेंट (एसओएचएएम) द्वारा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया।
- जुलाई 2000: गुजरात के तटीय भाल क्षेत्र में जल सुरक्षा से संबंधित उनके किए कार्यों को मान्यता देते हुए यूनेस्को ने उन्हें 'सतत मानव विकास के लिए समझदार तटीय अभ्यास' पर एक कार्यशाला में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। भाल क्षेत्र में ताजे पानी की अनुपलब्धता की समस्या को परियोजना ने सफलतापूर्वक हल किया था।
- April 2000: Selected by the “Third World Network of Scientific Organisation”, Italy as one of the four referees for evaluation of an important Joint Research Project at Yemen titled “Characterization an Environmental Prioritisation of the Coastal region in the state of Yemen.”
अपने जीवन के महत्वपूर्ण छह दशकों में श्री सक्सेना एक जेट-सेटिंग कॉर्पोरेट नेता, एक मुखर सामाजिक योद्धा, एक उत्साही पर्यावरणविद्, एक प्रतिबद्ध जल-संरक्षणवादी और एकीकृत और सतत विकास के लिए एक स्पष्ट समर्थक के रूप में पहचाने जाते रहे हैं। उन्होंने 1991 में अहमदाबाद में अपनी एनजीओ नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज (एनसीसीएल) की स्थापना की। एनसीसीएल एक गैर-लाभकारी बहु-आयामी सामाजिक संगठन है जो सोसायटी अधिनियम के तहत पंजीकृत है और कानून और न्याय मंत्रालय (कंपनी मामलों के विभाग), भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है। श्री सक्सेना के नेतृत्व में एनसीसीएल ने अखंड सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू), निजी कंपनियों, केंद्र या राज्य सरकारों के खिलाफ राष्ट्रीय महत्व के कई मुद्दों को सक्रिय रूप से उठाया है, अन्याय के खिलाफ जागरूकता पैदा करना, अनुचित व्यापारिक प्रथाओं को रोकना, मिथकों को उजागर करना, इसका प्रमुख उद्देश्य रहा है। उन्होंने अधिकारियों से लेकर अदालतों तक के समक्ष यह मुद्दे व्यापकता के साथ उठाए हैं।
21.11.2014 को, एनसीसीएल ने गुजरात के साबरकांठा जिले एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित वनज गांव से अपना नया प्रोजेक्ट "रेंबो हिल्स" लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य आदिवासी घरों के पुनर्निर्माण/मरम्मत और आधुनिकीकरण करना था। एनसीसीएल ने वनज गांव में चुने गए 12 घरों के पुनर्निर्माण/मरम्मत के कार्यों में स्थानीय लकड़ी का उपयोग किया। पुनर्निर्माण/मरम्मत से पूर्व ये सभी घर जीर्ण-शीर्ण धूल भरे हुए थे जो स्वास्थ्य के लिए सही नहीं था। एनसीसीएल ने 3 महीने की रिकॉर्ड अवधि में इन 12 घरों की मरम्मत और पुनर्निर्माण का काम पूरा किया। योजना के अंतर्गत शौचालय, दीवार, फर्श, छत, बरामदा आदि की मरम्मत का कार्य किया गया। इस योजना का उद्देश्य गरीब आदिवासियों को उनकी जीवन शैली, परंपराओं और परिवेश को प्रभावित किए बिना बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना था। इन आदिवासियों से यह भी अपील की गई कि वह ईको-टूरिज्म में रुचि रखने वाले पर्यटकों को आय के स्रोत के रूप में इन घरों में एक कमरा किराए पर दें।
वर्ष 2018 में इस सफल प्रयोग को वाराणसी के अदमापुर गांव में भी दोहराया गया। एनसीसीएल ने गांव के 6 जीर्ण-शीर्ण मिट्टी के घरों को 1 लाख रुपये प्रति यूनिट की लागत से कंक्रीट के घरों में पुनर्निर्मित किया।
अहमदाबाद शहर को धूल मुक्त बनाने के लिए, एनसीसीएल ने जुलाई 2004 में मिशन एंड्योर (धूल कम करना सुनिश्चित करना) नामक एक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की थी। यह देश में अपनी तरह का पहला प्रयास था। अहमदाबाद जैसे बड़े शहर में धूल से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए एक एनजीओ व्यावहारिक, सकारात्मक और सभी की भागीदारी से इस समस्या का समाधान खोजने में लगा था। पर्यावरण के अनुकूल बनी इस योजना ने शहर में न केवल धूल से होने वाले प्रदूषण को कम किया बल्कि वर्षा के जल को भूमि में भेजकर वाटर रिचार्ज करना भी सुनिश्चिच किया। अहमदाबाद को लेकर किए गए इस अनूठे और सफलतम प्रयास (मिशन एंड्योर (ENDURE)) को यूएन-हैबिटेट (UN-HABITAT) द्वारा स्थापित दुबई इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार के लिए 140 देशों की 650 प्रविष्टियों में से एनसीसीएल का चयन किया गया था। इस परियोजना को वर्ल्ड अर्बन फोरम फॉर वर्ल्डवाइड एमुलेशन में भी प्रदर्शित किया गया था।
एनसीसीएल ने वर्ष 1999-2000 के दौरान गुजरात के सबसे सूखे भाल क्षेत्र के 13 गांवों में स्थानीय लोगों की भागीदारी के साथ गांव के तालाबों को गहरा करने का काम सफलतापूर्वक पूरा किया। एनसीसीएल ने 2001 से 2005 तक हर साल गुजरात के भाल क्षेत्र के दूरदराज गांवों में मुफ्त पानी की आपूर्ति की।
26 जनवरी 2001 को गुजरात में आए एक भीषण भूकंप के बाद एनसीसीएल ने सैटेलाइट इमेजरी के माध्यम से एसएसपी पर भूकंप के प्रभाव का अध्ययन किया। सैटेलाइट इमेज का विश्लेषण करने के लिए इस क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले प्रसिद्ध संगठन अर्थ सेंटर, हैदराबाद की मदद ली गई। गुजरात और राजस्थान के लिए बनाई गई जल संसाधन योजना और वाटरशेड प्रबंधन में भी श्री सक्सेना शामिल रहे। एनसीसीएल ने वर्ष 2003 में गुजरात और राजस्थान के सूखे क्षेत्रों में अप्रयुक्त पानी लाने के लिए तृष्णा नामक से एक अध्ययन शुरू किया।
सरदार सरोवर परियोजना के अच्छे कार्य को बाधित करने की कोशिश करने वाले लोगों को उजागर करने के लिए श्री सक्सेना ने सामाजिक और कानूनी प्रयास किए, जिन्हें गुजरात ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी काफी प्रशंसा मिली। ऐसे दर्जनों उदाहरण हमारे सामने हैं-चाहे वह जल संसाधन विकास का क्षेत्र हो, समाज में फैली व्यापक कुप्रथाओं से लड़ना हो, आपदा प्रबंधन समर्थन हो या शहर के स्वच्छ विकास का क्षेत्र हो, वह सभी में आगे रहे हैं। सामाजिक विकास के कार्यों से श्री सक्सेना उसी प्रकार से जुड़े रहते हैं जिस प्रकार से लोहा चुंबक से चिपका रहता है।
प्लास्टिक मिक्स हैंडमेड पेपर

सितंबर 2018 में केवीआईसी ने श्री सक्सेना के मार्गदर्शन में प्लास्टिक के खतरे को कम करने का एक अनूठा तरीका खोजा जिसे रीप्लान (REPLAN- प्रकृति से प्लास्टिक को कम करना) नाम दिया गया। जयपुर में केवीआईसी की इकाई कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट (केएनएचपीआई) ने कम लागत पर पेपर कैरी बैग और अन्य सामान बनाने के लिए पेपर पल्प के साथ 20 प्रतिशत तक प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल कर हस्तनिर्मित कागज विकसित किया। इसको बनाने का विचार श्री सक्सेना द्वारा ही दिया गया था। केवीआईसी के कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट (केएनएचपीआई) जयपुर द्वारा साकार की गई श्री सक्सेना की रचना को भारत के पेटेंट बौद्धिक संपदा नियंत्रक द्वारा 2 अगस्त 2021 को पेटेंट प्रमाण पत्र दिया गया। प्लास्टिक-मिश्रित हस्तनिर्मित कागज की यह भारत में अपनी तरह की पहली परियोजना है, जहां प्लास्टिक कचरे को डी-स्ट्रक्चर्ड, डिग्रेडेड, डाइल्यूटेड कर पेपर पल्प के साथ मिलाकर हैंडमेड पेपर बनाया जाता है। इस तरह से प्रकृति से प्लास्टिक कचरे को कम करने में अभूतपूर्व सफलता हासिल की जा सकती है।
केएनएचपीआई ने लॉन्च के केवल 2 वर्षों में ही इस योजना के तहत जयपुर से निकलने वाले लगभग 50 मीट्रिक टन अपशिष्ट प्लास्टिक का उपभोग किया। केवीआईसी प्लास्टिक-मिश्रित हस्तनिर्मित कागज से बने लिफाफे और कैरी बैग ऑनलाइन बेच रहा है। खादी इंडिया के सभी आउटलेट ग्राहकों को सामान पहुंचाने के लिए प्लास्टिक मिश्रित हस्तनिर्मित पेपर कैरी बैग का भी उपयोग कर रहे हैं। इस योजना के फलस्वरूप केएनएचपीआई का न केवल पुनरुद्धार संभव हुआ बल्कि वह एक स्व-टिकाऊ इकाई भी बन गया है। इसकी वजह से हस्तनिर्मित कागज उद्योग में रोजगार के नए अवसर भी पैदा हुए हैं।
खादी प्राकृतिक पेंट
कई वर्षों के शोध के बाद केवीआईसी ने गाय के गोबर से बना भारत का पहला डिस्टेंपर और इमल्शन पेंट विकसित किया, जिसे खादी प्राकृतिक पेंट का नाम दिया गया। गाय के गोबर के पेंट का आविष्कार केवीआईसी के तत्कालीन अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना के नेतृत्व में ही संभव हो सका। इसे 12 जनवरी 2021 को लॉन्च किया गया और बाद में इसको पेटेंट प्रमाणपत्र भी हासिल हुआ। यह पेंट पर्यावरण अनुकूल होने के साथ बैक्टीरिया-रोधी, फफूंद-रोधी, लागत प्रभावी, गैर-विषाक्त उत्पाद और भारी धातुओं से मुक्त है। इस पेंट में कम वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOC-Volatile organic compounds) होते हैं। यह पेंट कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट, जयपुर (केवीआईसी की एक इकाई) द्वारा विकसित किया गया है। केवीआईसी स्थानीय किसानों और गौशालाओं से 5 रुपये प्रति किलो की दर से गाय का गोबर खरीद कर किसानों और गाय मालिकों को आय का अतिरिक्त साधन भी प्रदान कर रहा है।