भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन जी,
दिल्ली की माननीय मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता जी,
दिल्ली विधान सभा के माननीय अध्यक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता जी,
माननीय मंत्री श्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा जी,
इस गरिमामय सदन के माननीय सदस्यगण,
विशिष्ट अतिथिगण, एवं मीडिया के साथियों
75 वर्ष पूर्व, आज ही के दिन 1949 में, भारतीय संविधान को अपनाया गया था। आज का यह गौरवशाली दिन, हमारे गणतंत्र की सफलता की कहानी बयां कर रहा है। भारत को एक सफल गणतंत्र बनाने में, विश्व के सबसे लंबे और विस्तृत, हमारे संविधान ने, सबसे बड़ी भूमिका निभाई है।
आज इस ऐतिहासिक दिन पर, माननीय उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन जी का, इस ऐतिहासिक परिसर में आगमन, हम सभी के लिए गौरव का पल है। इसके लिए मैं...,और यह सदन उनका दिल से अभिनंदन करता है। साथ ही मैं, समस्त जनप्रतिनिधियों...,और दिल्लीवासियों को, संविधान दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं।
आज का दिन संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद..., और Drafting Committee के अध्यक्ष डॉ. बी.आर. अम्बेडकर, समेत संविधान सभा के सभी सदस्यों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने..., और उन्हें याद करने का भी है। इन सभी ने, हमारे संविधान को रच कर, भारत की सदियों से शोषित आत्मा को, अभिव्यक्त करने में अद्भुत भूमिका निभाई थी। इन Founding Parents की बदौलत ही, हम एक सशक्त भारत का निर्माण कर पाने में सफल रहे हैं।
आज का दिन, हम सभी को संविधान..., और संविधानवाद के प्रति, स्वयं को मन, वाणी और कर्म से प्रतिबद्ध करने का भी है। यह प्रतिबद्धता कागज के किसी दस्तावेज के प्रति नहीं, बल्कि संविधान में निहित आदर्शों, भावनाओं..., और उनसे उद्धत कर्तव्यों के प्रति होनी चाहिए, वरना, हम अपनी प्रतिबद्धता का समूचित निर्वहन नहीं कर पाएंगे।
आज यहां, विधायिका और कार्यपालिका के सभी प्रतिनिधि उपस्थित हैं। आप संविधान के, प्रथम पंक्ति के सबसे बड़े संरक्षक हैं..., और आपमें संवैधानिक प्रतिबद्धता सबसे अधिक होनी चाहिए। संवैधानिक प्रतिबद्धता यही है, कि जिन्होंने आपको चुनकर यहां भेजा है, उनके हीहित में, आपके सारे काम लक्षित हों।
इसलिए आपका एकमात्र उद्देश्य, जनहित ही होना चाहिए..., और जनहित भी- महात्मा गांधी..., और पंडित दीन दयाल उपाध्याय के सर्वोदय..., और अंत्योदय, तथा बाबा साहब के समता के सिद्धांत पर आधारितहोना चाहिए। हमारा संविधान भी इसी सिद्धांत पर आधारित है।
हमें स्मरण रहना चाहिए, कि हमारे संविधान की प्रस्तावना ‘हम भारत के नागरिक’ से शुरू होती है। इसमें, सभी को न्याय, स्वतंत्रता, समानता…, और सम्मान भी निहित है।
आज के हमारे सम्मानित और आदरणीय, मुख्य अतिथि, उपराष्ट्रपति, श्री CP राधाकृष्णन जी का जीवन भी, सर्वोदय और अंत्योदय के सिद्धांतों पर ही, आधारित रहा है। मैं इसके लिए, उनको साधुवाद अर्पित करता हूं।
हमारा संविधान, जहां हमें अपनी पसंद की सरकार चुनने का अधिकार देता है, वहीं यह सरकारों को, जनहित कार्यों को करने के लिए बाधित भी करता है। लोकतंत्र को मजबूत करने की यह प्रक्रिया हमारे यहांसदियों से जारी है।
एक लोकतंत्र की ताकत, केवल उसके द्वारा बनाए गए कानूनों में ही नहीं, बल्कि, उस अनुशासन, आचरण और निष्ठा में निहित होती हैं, जिसके साथ उसकी संस्थाएं काम करती हैं। मुझे खुशी है कि दिल्ली विधान सभा, राजधानी में Responsive Governance को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
2015 में, जब माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने, इस दिन को, संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था, तब उसका उद्देश्य केवल यही था, कि हम, उन लोगों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करें, जिनके दम पर, हम आज एक मजबूत भारत बना सके हैं।
बीते एक दशक में, हजारों की संख्या में, ऐसे नियम-कानूनों को खत्म किया गया, जो हमारे विकास की प्रक्रिया में बाधक थे, गुलामी के प्रतीक थे..., या बदलते समय में उनका कोई औचित्य नहीं था।
मुझे याद है, 8वीं विधानसभा की शुरुआत में मैंने, विधानसभा अध्यक्ष, श्री विजेंद्र गुप्ता जी को, दिल्ली विधानसभा की अनूठी विरासत..., और भारत में Legislative Institutions की विकासयात्रा को दर्शाने वाली एक Coffee Table Book बनाने का प्रस्ताव दिया था।
मुझे खुशी है कि उन्होंने मेरे प्रस्ताव को माना..., और मुझे संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर, इस कॉफी टेबल बुक का विमोचन करने का सुअवसर भी दिया। इसके लिए मैं, उन्हें..., और उनकी पूरी टीम को दिल से बधाई देता हूं।
इसमें स्वतंत्र भारत के इतिहास की कई दुर्लभ यादें छिपी हैं। हम जब भारतीय संविधान की बात करते हैं, तो हमें, इस ऐतिहासिक इमारत की यादें भी ताजा हो जाना स्वाभाविक है। यह भारत की लोकतांत्रिक विरासत का एक अमूल्य हिस्सा है।
दिल्ली विधान सभा बनने से पहले, ये सदन 1912 से 1926 तक, भारत की पहली केंद्रीय विधान सभा का सदन हुआ करती था। यहीं पर नागरिकता, अधिकारों, और स्वशासन के भविष्य पर, कई गंभीर विचार-विमर्श हुए थे।
आज, जिस आसन को, माननीय गुप्ता जी सुशोभित कर रहे हैं, वहां कभी विट्ठल भाई पटेल बैठा करते थे। इसी ऐतिहासिक इमारत में 1919 में Rowlatt Act पास हुआ था..., और यहीं पर, स्वतंत्रता संग्राम की अनेक गाथाएं भी लिखी गईं।
एक बार बाबा साहब ने कहा था कि ‘संविधान कितना भी अच्छा हो, यदि उसे लागू करने वाले लोग सही नहीं होंगे, तो वो गलत ही साबित होगा, और यदि उसे लागू करने वाले लोग सही होंगे, तो खराब संविधान भी सही साबित होगा।’
इसलिए यह जरूरी है, कि हम संविधान में निहित अपनी जिम्मेदारियों पर गंभीरता से विचार करते हुए..., पूरी निष्ठा..., और ईमानदारी से आगे बढ़ें। Legislatures को तार्किक संवाद, पारदर्शिता, जवाबदेही.., और विश्वास का केंद्र बने रहना चाहिए।
आइए इस खास अवसर पर हम, संविधान की भावना को अक्षुण्ण रखने..., और हमारे गणतंत्र की आधारशिला रखने वाली संस्थाओं को, मजबूत करने का संकल्प लें।
अंत में मैं, एक बार फिर से आप सभी को..., और विशेषरूप से दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष को बधाई देता हूं। और भारत के उपराष्ट्रपति, श्री CP राधाकृष्णन जी का स्वागत कर, उनका धन्यवाद करता हूं।
धन्यवाद
जयहिंद!
THE LIEUTENANT GOVERNOR, DELHI
