Address of Hon’ble Lt. Governor on the 14th Convocation of Jamia Hamdard University.

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  • जामिया हमदर्द के चांसलर जनाब हम्माद अहमद,
  • वाईस चांसलर प्रो. एम. अफशार आलम,
  • हमदर्द खानदान के अरकान, हिन्दोस्तान में मुख्तलिफ सिफारती मिशंस के सिफरात्कार,
  • स्कूलों के डीन,
  • रजिस्ट्रार,
  • हुकूमते देलही के सीनियर अफसरान,
  • प्यारे तालिब इल्म और उनके वालदैन,
  • मीडिया और इस हॉल में मौजूद दीगर मोहतरम मेहमान
  • आदाब - नमस्कार 

 

Dear Friends, Ladies & Gentlemen,

At the outset, I will seek your indulgence and ears to address you in Urdu.

02.    ऐसा मैं इसलिये कर रहा हूं कि मुझे उर्दू के चलन और रिवाज़ में लगातार आ रही कमी, परेशान करती रहती है। गंगा और जमुना के दोआब में पुख्ता हुये मेरे संस्कार, सिर्फ और सिर्फ हिन्दुस्तानी हैं- ये जितने हिंदी हैं उतने ही उर्दू हैं और उतने ही ब्रजभाषि या अवधी हैं। मेरा मानना है कि हमारी हिन्दुस्तानी ज़बानें हमारी कौम को आवाज़ देने के लिये काफ़ी हैं और हमें विलायती- मगरीबी या मशरीकि, जबानों की जरूरत नहीं होनी चाहिये।

03.    यहाँ पर मैं उस इत्तेफाक का जिक्र करना चाहूँगा जिस ने मुझे उर्दू का प्रशंसक और मुरीद बना दिया। वाकया लखनऊ का है, जहाँ एक जनाब आम बेच रहे थे। एक मोहतरमा ने उनसे आम के दाम पुछे तो उन्होंने सौ के दस का भाव बताया।मोहतरमा ने जब पूछा के साठ के दस देंगे क्या? तो जनाब ने जवाब दिया के 75 का भी दाम देने वाले, बिना अरमान पुरे किये चले गए। इतनी अदबी से ना कहना उर्दू में ही किया जा सकता है। मैं हैरान हुआ और मुरीद भी।उर्दू की सिफारिश में इतना ही कहना काफी होगा कि नज़ाकत, नफ़ासत, अदब और तहज़ीब से बरकत ये जुबान, हमारी ऐतिहासिक विरासत है।

04.    प्यारे तालीब, आज आप अपनी जिंदगी के बेहद अहम मोड़ पर आ पहुंचे हैं। यहाँ से आगे आपको कौमी तन्जीम का हिस्सा बन, कौम की तारीख लिखने के मौके मिलेंगे। आपको सबसे पहले इस बात का एहसास होना चाहिये कि समय इंसान को कामयाब नहीं बनाता, बल्कि वक़्त का सही इस्तेमाल इंसान को सफल बनाता है। आपका इदारा, मदरसा और मक्तबा आपको इल्मो-ज्ञान देता है, पर इरादे आपको खुद बना कर अमल करने होते हैं।

05.    आपके आगे के इरादे आपको खुद तय करने होंगे। मेरी मानें तो ये इरादे आपके ज़ाती, सामाजिक, कौमी और सबसे ज़्यादा इंसानियत की पुरखलूश बन्दगी की ज़ानिब होने चाहिये।

किसी ने कहा है... चरित्र को पवित्र करने का कोई इत्र नहीं मिलता, अपने किरदार से इंसान खुद महकता है।

06.    मेरी आपसे गुज़ारिश है के आप अपने रूहानी किरदार को कुछ ऐसे महकायें के आप खुद, आपका खानदान, समाज और देश आपकी खुशबू से महक उठे। आप राष्ट्र निर्माण के हातिफ़ फ़रिश्ते और योद्धा बनें।

07.    तालिब इल्मो,आप के लिए, लफ्ज़ “प्यारे” इस्तेमाल करने की वजह यह है की मैं आप में दो चीज़ें देखता हूँ।एक तो आप में मुझे अपने बच्चे नज़र आते हैं और दूसरा यह के आप में मुझे इस दुनिया का मुस्तकबिल नज़र आता है। कल को आप में से ही कोई बच्चा दुनिया में हमारे मुल्क, अपने उस्ताद और अपने खानदान का नाम अपने काम से रोशन करेगा।

08.    हकीम अब्दुल हमीद मरहूम के कायमकरदा, इस अजीम इदारे के 14वें कन्वोकेशन का हिस्सा बनना मेरे लिए फख्र की बात है। मैं उन सभी graduating तालिब इल्मों और gold medal जीतने वालों को मुबारकबाद पेश करता हूं, जिन्हें डिग्रियों से नवाजा गया है और जिन्होंने अपनी तालीम में बेहतरीन मुजाहिरा किया है।

09.    मैं जानता हूं कि आपका स्कूल से कॉलेज और फिर कॉलेज से यूनिवर्सिटी तक का सफर आसान नहीं रहा होगा, लेकिन अगर पहाड़ बुलंद न हों, चढ़ाई आपके हौसले का इम्तिहान न ले, तो फिर ऊपर पहुंचकर जो वसी (विशाल) नजारा दिखता है उसका लुत्फ उतना नहीं होता। आपके उस्ताद और सरपरस्तों ने आपके सफर को भले ही आसान न बनाया हो, लेकिन इसे बिलाशुबह हमवार तो बनाया ही होगा। इसलिए मैं आपसे उम्मीद करूंगा कि अपने मुस्तकबिल को संवारने के लिए अपने उस्तादों, अपने गुरुओं औरअपने परिवार की कुर्बानियों के लिए हमेशा उनके शुक्रगुजार रहें।

10.    मुझे इस बात में कोई शक नहीं है कि आप अपने करियर के लिए जो भी रास्ता चुनेंगे, उस पर अमल करने के दौरान हजारों जिंदगियों पर, आप असर डालेंगे। मैं जामिया हमदर्द के मुख्तलिफ डिपार्टमेंट्स से ग्रेजुएट होने के बाद, आपके नए सफर के लिए नेक ख्वाहिशों का इजहार करता हूं।

11.    Convocation की इस तकरीब में बोहोत से तालिब इल्मो को इस साल सर्टिफिकेट्स मिलेंगे और फिर अगले साल और यह सिलसिला चलता रहेगा, लेकिन मेरी नज़र में सर्टिफिकेट्स मिलना एक रसम भर है। असली चीज़ आप की पढ़ाई और इस से हासिल होने वाली मुस्तकबिल की ऐसी नसल है, जो इस दुनिया को अपनी तालीम से फायदा पहुंचाए और तालीम के हर शौबे में आप नाम कमायें। लेकिन आप की तालीम, दुनिया, मुल्क, समाज और खानदान को फायदा पहुंचाने वाली होनी चाहिए। आपके ideal महात्मा गाँधी, हकीम अब्दुल हमीद और वजीर आज़म नरेंदर मोदी होने चाहिए.

12.    मेरी उन वालदैन से भी दरख्वास्त है, जो यहां अपने बच्चों की इस शानदार कामयाबी पर फख्र का ऐहसास कर रहे हैं, कि अपने बच्चों पर भरोसा करें और उन्हें उनके ख्वाबों को पूरा करने दें, न कि आपके अपने खवाबों को।

13.    नई नस्ल, अपने वालदैन से ज्यादा होशियार है, क्योंकि उनके पास ज्यादा empowerment है, लेकिन साथ ही वह हररोज़ बदलते हुए digital माहौल और information flow से निपटने में कई challenges का सामना कर रहे हैं। आज information flow जेट की रफ्तार से सामने है। उनके पास आलमी सतह पर मालूमात हासिल कर उन्हें store करने के तरीके और device हैं। उन्हें रोकना मुश्किल है, और मुझे यकीन है कि वह आप को हैरान कर देंगे, बशर्ते आप उन्हें वह काम करने दें जो वह अपने दिल से करना चाहते हैं।

14.    आज यहाँ आकर एक शख्सीयत जिसकी तस्वीर मेरे दिल ओ दिमाग पर छाई हुई है, वो इस यूनिवर्सिटी के बानी हकीम अब्दुल हमीद साहब की है, जिन को में एक शेर के ज़रिये याद करना चाहता हूँ। शेर जो बोहोत आम है, लेकिन ऐसा लगता है, के जैसे यह शेर हकीम साहिब की शख्सीयत को देख कर ही शायर ने लिखा है। शेर इस तरह है

हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पर रोती है

बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा

15.    हकीम साहिब की दूरंदेशी को मेरा सलाम, के उन्होंने मुल्क की नौजवान नसल के लिए पढने का और आगे बढ़ने का ऐसा खवाब देखा था। उन्होंने ये खवाब उस वक़्त देखा जब वो चाहते तो किसी भी कारोबार में सरमायाकारी करते, तो उनका सरमाया दिन दुगनी रात चौगनी तरक्की करता और उनकी कमाई में खूब इजाफा होता। लेकिन उन्होंने एक मुश्किल रास्ता अपनाया और मुल्क और नौजवान को अपनी कारोबारी तरक्की से ज्यादा अहमियत दी। आज जामिया हमदर्द दुनिया में जो नाम कमा रहा है उस का सेहरा बेशक हकीम साहिब को जाता है। इस यूनिवर्सिटी को इस मक़ाम तक पहुंचाने में उस्ताद, स्टाफ और तालिब इल्मो का बोहोत अहम् किरदार रहा है, उन को भी मेरा सलाम.

16.    मैं इस मौके पर तीन और नामवर शख्सियत को मुबारकबाद पेश करना चाहता हूं जिन्हें honorary degree से नवाजा गया है। वे हैं भारत के साबिक कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन, फज़लानी ग्रुप के चेयरमैन डॉ अब्दुल कादिर फज़लानी, और साबिक सिविल सर्वेंट,IRS अफसर डॉ रमन कांत गर्ग। इन लोगों ने अपनी-अपनी फील्ड में शानदार काम किया है। मैं आप सबको मुबारकबाद पेश करता हूँ और मुझे उम्मीद है कि आप जामिया हमदर्द से जुड़े रहेंगे और इसका नाम रोशन करेंगे।

17.    मैं इस हकीकत पर भी रौशनी डालना चाहूंगा कि जामिया हमदर्द के इस convocation में लड़कियों की तादाद लड़कों से ज्यादा है। इसके लिए जामिया हमदर्द को दिली मुबारकबाद पेश करता हूँ, कि उन्होंने खवातीन की ताक़त को मजबूती देने का काम किया है। मुझे यह भी मालूमात हासिल हुई है कि जामिया हमदर्द कीNCC इकाई (यूनिट) के तौर पर लड़कियों ने Guard of Honour के दौरान अपने हुनर का मुज़ाहिरा किया है।

18.    प्यारे दोस्तों, आपके लिए बेशुमार मौके इंतजार कर रहे हैं। मुझे याद है, जब मैंने पढ़ाई खत्म की थी, तो उस वक्त सरकारी नौकरी ही सबसे बेहतर मौका माना जाता था। लेकिन अब रोजगार के बेशुमार मौके मौजूद हैं। न सिर्फ रोजगार बल्कि entrepreneurship के जरिए आप job-seeker के बजाए job-giver, यानी नौकरियां हासिल करने वाले नहीं बलके नौकरियां देने वाले बन सकते हैं, जैसा कि हमारे वज़ीरे आज़म नरेन्द्र मोदी जी की सोच है।

19.    आपको यह मालुम होगा कि हिंदुस्तान में जब भी ऐसे हालात पैदा हुए, जब भी आसमानी या इंसानी कारणों से जलजले, सैलाब या दिगर तूफ़ान आये, तब प्रधानमंत्री, जनाब नरेन्द्र मोदी जी ने, सियासतदानी से ऊपर उठकर, इंसानियत के फर्ज निभाए। अनेक सूबों और कौम के लोगों के हित में, COVID, भूकंप या समुद्री तूफानों के समय उनकी रहनुमाई, काबिल ए तारीफ़ रही है। दिल्ली में हालिया तकलीफों के दौरान भी उन्होंने, फ्रांस में पेरिस से, लगातार मुझ से फोन पर बात कर, relief, rehabilitation और reconstruction को दिशा दी।

20.    हमारे हरदिल अज़ीज़ वजीरे आज़म, खुद कफील हिन्दोस्तान की बात करते हैं, और उन की कयादत में, हमारा मुल्क, हमारी समाजी और इक्तेसादी सरगर्मियों के तमाम पहलुओं में मुकम्मल तौर पर, खुद किफ़ालत की तरफ बढ़ रहा है। वजीरे आज़म बनने के बाद मोदी जी ने अनेक पहल किये, जिससे आलमी सतह पर यानी वैश्विक स्तर पर गहरा असर हुआ और हमारे यहां सरमाया आया।

21.    हाल में हुआ G-20 Summit हमारे दौर की बेहतरीन मिसालों में से एक है। इसमें हमने दिल्ली में, इस तरह के एक mega event की मेजबानी के लिए मुकामी हुनर और technology के जरिए अपनी काबिलियत को सामने रखा। G-20एक कामयाब इनेक़ाद था और इसने हिंदुस्तान के नौजवानों के जहनों में खुद-ऐहतामादी पैदा की है। इस event ने आलमी सतह पर हमारी कामयाबी की कहानी को सामने रखा है। इस सम्मेलन में शामिल होने वाले मेहमान 75 सालों में हुई हमारी तरक्की देखकर हैरान रह गए।

22.    किसी भी मुल्क की कामयाबी के तौर पर, या किसी भी खानदान और समाज की कामयाबी के पीछे, जरूरी शिक्षा और human capital, बेहद जरूरी हैं। नई तालीमी पॉलिसी -NEP इस दिशा में उठाया गया बेहतरीन कदम है, जो मरकजी हुकूमतद्वारा, इंसानी तरक्की को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। मुझे खुशी है कि जामिया हमदर्द ने NEP-2020 को अपनाया है।

23.    मुझे इस बात का फख्र है कि जामिया हमदर्द ने, 2019 से 2022 तक चार साल, लगातार NIRF में पहला स्थान हासिल किया है और Pharmacy में नंबर 2 पर है। यह हैरत अंगेज़ है कि, दिल्ली की दीगर मरकजी और रियासती यूनिवर्सिटीयों के मुकाबले आकार में छोटी यूनिवर्सिटी होने के बावजूद जामिया हमदर्द की रैंकिंग इतनी शानदार है। NAAC द्वारा भी जामिया हमदर्द को A+ ग्रेड से नवाजा गया है। इससे पता चलता है कि यहां का इन्ताज़िम कितना बेदार है ।

24.    इदारे की यह शानदार कामयाबी तमाम stakeholders और तालिब इल्मो के किरदार से मुमकिन हुई है। छात्रों को किसी भी इदारे के सफर का हिस्सा, न सिर्फ उस वक्त रहना चाहिए, जब वे वहां पढ़ाई कर रहे हैं, बल्कि उसके बाद साबिक तालिब इल्मों के तौर पर भी, उससे जुड़े रहना चाहिए। मेरी गुज़ारिश है कि आप अपने तालीमी इदारे की तरक्की में अपना किरदार अदा करते रहें।

25.    मुझे यह जानकर खुशी है कि जामिया हमदर्द के कार्यक्रम healthcare education पर focus करते हैं। Doctors, Nurses, Pharmacists, Para-medics, Physiotherapists, Engineers, Biotechnologists, Chemists, Toxicologists और अन्य, जामिया हमदर्द से graduate होने के बाद दिल्ली के healthcare system में अहम योगदान दे रहे हैं।

26.    हाल के सालों में जामिया हमदर्द ने Law, Mass Communication, hospitality और Artificial Intelligence के प्रोग्राम भी शुरु किए हैं।

27.    जामिया हमदर्द का सिर्फ एक Off Campus है, जो केरल के कन्नूर में हैं। मुझे भरोसा है कि बेरुने मुमालिक में भी जामिया के कैम्पस खुलेंगे ताकि आलमी सतह पर जामिया हमदर्द की Quality Education पहुंच सके। मैं इस सिलसिले में जामिया हमदर्द को हर किस्म की मदद देने का वादा करता हूं।

28.    दोस्तों, इस मौके पर मैंएक बार फिर उर्दू का ज़िक्र ज़रुर करना चाहूँगा।हमारी दीगर जुबानो की तरह,उर्दू भी हमारी अपनी जुबान है।हिंदी, बंगला, ओडिया, मलयालम, तमिल, तेलुगु और मुख्तलिफ जुबानों की ही तरह, यह पैदा हुई, परवान चढ़ी और जवान हुई तो सिर्फ हमारे मुल्क में। हिंदी और उर्दू के रिश्ते पर, शायरा लता हया ने खूब कहा है:

मैं हिन्दी की वो बेटी हूँ, जिसे उर्दू ने पाला है

अगर हिन्दी की रोटी है, तो उर्दू का निवाला है

मुझे दोनों ही प्यारी है, मैं दोनों की दुलारी हूँ.

इधर हिन्दी-सी माई है, उधर उर्दू-सी खाला है।

29.    प्यारे तलबा, उमर खय्याम की रुबाइयाँ बर्क की जगह, पथरीली ज़मीन पर भी लिख दी जाएँ तो उनकी ख़ूबसूरती या जज़्बात कमतर नहीं होंगे। यही कमाल है उर्दू जुबान की। यह जुबान हमारे मुल्क में हमेशा जवान रहेऔर कभी बूढी नहीं हो, इस की ज़िम्मेदारी सिर्फ हमारे ऊपर है। मैं यह बात जो कह रहा हूँ, के इस की ज़िम्मेदारी हमारी है, तो इसके पीछे वजह है। कोई भी जुबान बूढी होती और फिर मर जाती है, अगर उस को इस्तेमाल करने वाले और उस को बोलने वाले, उस को इस्तेमाल करना और बोलना छोड़ दें।कभी पूरे उत्तर भारत में और दक्षिण में दख्खनी के तौर पर मुस्तरक जुबान रही उर्दू, अब किताबों और मकतबों में सिमटती जा रही है। मेरी आप लोगो से दर्खावस्त है के उर्दू को अपने रोज़ाना चलन में ला कर इसे हमेशा जवान रखें।

30.    आखिर में, मैं कहना चाहूँगा.....।।

“जैसी जिसकी सोच, वह वैसी कहानी रख्ता है,

कोई परिंदों के लिए बंदूक तो कोई इनके लिए पानी रखता है” I

 

प्यारे बच्चों, मैं आपसे यही उम्मीद रखता हूँ कि आप अपनी तालीम के ज़रिये परिंदों के लिए पानी रखें, बंदूक नहीं I

31.    मैं एक बार फिर सभी ग्रेजुएटिंग स्टूडेंट्स को मुबारकबाद देता हूं जिन्हें डिग्री और Gold Medal मिले हैं। मैं सभी खास मेहमानों और HonorisCausaहासिल करने वालों को मुबारकबाद देता हूं। साथ ही मैं जामिया हमदर्द के वाइस चांसलर प्रोफेसर एम अफशार आलम का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं, जिन्होंने मुझे इस Convocation के लिए मदु किया।

जय हिन्द ।

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