उपराज्यपाल श्री वी.के. सक्सेना ने आज दिल्ली में भूजल रीचार्ज, संवर्द्धन, ड्रैनेज तथा सिंक होल के माध्यम से पार्कों, सड़कों और अन्य इलाकों में वर्षा जल संचयन तथा जल जमाव की समस्या का इसके द्वारा समाधान किए जाने की योजनाओं की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की। उप-मुख्यमंत्री श्री मनीष सिसोदिया, मुख्य सचिव तथा संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी इस बैठक में मौजूद थे। पिछले सप्ताह ही उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री ने इस संबंध में अधिकारियों से एक समयबद्ध और ठोस कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए थे।
दिल्ली जल बोर्ड, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, लोक निर्माण विभाग, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद तथा दिल्ली विकास प्राधिकरण ने अलग-अलग प्रजन्टेशन में इस बाबत अपने योजनाओं से उपराज्यपाल को अवगत कराया। सभी की कार्ययोजनाएं पानी के संर्वद्धन तथा संचयन से संबंधित थीं ताकि दिल्ली के भू-जल स्तर को बढ़ाने के साथ-साथ जल-जमाव तथा बाढ़ की समस्या से प्रभावी रूप से निपटा जा सके।
बैठक में निम्नलिखित निर्णय लेकर अधिकारियों को उनके कार्यान्वयन के निर्देश दिए गए। अधिकारियों से कहा गया कि वह इन निर्णयों को उन इलाकों में जल्द से जल्द लागू करें जहां भू-जल स्तर 10 मीटर से नीचे हो।
- जल बोर्ड द्वारा चिन्हित विभिन्न विभागों/एजेंसियों के स्वामित्व वाले करीब 800 स्थानों पर रिचार्ज पिट्स बनाया जाए। इस कार्य को ऐसे विभाग जिनका अपना अभियंत्रिकी सैट अप है वह स्वयं लागू करेंगे और बाकियों के लिए यह कार्य जल बोर्ड द्वारा किया जाएगा।
- राजधानी में विभिन्न जगहों पर स्थित बंद और बेकार पड़े ट्यूबवैलों को वाटर रिचार्जिंग तथा रिटेंशन पिट्स में परिर्वतित कर उनका इस्तेमाल जल संचयन के लिए किया जाए।
- लगभग 700 चिन्हित जलाशयों/तालाबों इत्यादि की सफाई कर उनको 2 मीटर गहरा किया जाए और उनके जलग्रहण क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त किया जाए ताकि इनमें वर्षा का पानी अनवरत रूप से जा सके।
- ऐसे स्टार्म वाटर ड्रेन जिनमें सीवर का पानी न जाता हो उनमें सिंक होल बनाने की संभावना 15 दिन के अन्दर तलाश की जाए।
- इन समस्याओं के दीर्घकालिक समाधान के लिए शहर की भू-वैज्ञानिक तथा हाईड्रोलाजिकल सर्वे के आधार पर, आधुनिक तकनीक से लैस सिंक होल विकसित करने की योजना तैयार की जाए।
उपराज्यपाल ने पिछली बैठक में नजफगढ़ नाले के ड्रेजिंग, जलकुंभी हटाने और किनारे पर पेड़ लगाने के निर्देशों का भी अधिकारियों से ब्यौरा मांगा। उन्हें सूचित किया गया कि जल कुंभियों को नाले में ही मोटराइजड कटरों से लैस नावों द्वारा छोटे टुकड़ों में काटने के लिए नाव उपलबध करा लिए गए हैं, रोटर मशीनों से लैस जेसीबी मशीनों का प्रयोग कर नाले की सतह पर जमे मिट्टी और गाद को निकालकर 4 मीटर की गहराई प्राप्त करने की योजना है और बारिश शुरू होते ही किनारों पर पेड़ लगाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। यह भी बताया गया कि ढांसा से छावला के बीच के 17 कि.मी. लम्बे हिस्से में ड्रेजिंग तथा जल कुंभी श्रेडिंग का कार्य इसी सप्ताह शुरू कर दिया जाएगा।
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