- उपराज्यपाल ने स्वतंत्रता संग्राम में दिल्ली के गुमनाम नायकों की स्मृति में समर्पित पुस्तक ’’दिल्ली इन द ऐरा ऑफ रिवोल्यूशनरीज़, 1857 - 1947’’ का विमोचन किया।
- दिल्ली में जल्द ही स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों का एक स्मारक/संग्रहालय स्थापित किया जायेगा।
- उपराज्यपाल ने दिल्ली के निवासियों से स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिबद्धता और समर्पण को आत्मसात करने तथा ’अमृत काल’ के अगले 25 वर्षों में राष्ट्र निर्माण के कार्य में आगे आने का आह्वान किया।
उपराज्यपाल श्री वी.के. सक्सेना ने आज राज निवास में आयोजित एक समारोह में स्वतंत्रता संग्राम में दिल्ली के गुमनाम, अनसुने योद्धाओं की स्मृति में समर्पित ’’दिल्ली इन द ऐरा ऑफ रिवोल्यूशनरीज, 1857-1947’’ पुस्तक का विमोचन किया। प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप एवं ’आजादी के अमृत महोत्सव’ के इस काल में यह पुस्तक हमें दिल्ली के उन वीर और महान बेटों और बेटियों द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में किए गए योगदान की गाथा बताएगी जिन्होनें देश की आजादी के लिये अथक प्रयास किये तथा अनेक बलिदान दिये।
स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों- पोते-पोतियों के बीच लोकार्पित की गई यह पुस्तक प्रसिद्ध लेखक और मीडिया उद्यमी, डॉ भुवन लाल द्वारा लिखी गयी है। इससे पहले उपराज्यपाल ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिल्ली में 16 प्रमुख डीडीए पार्कों को स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर समर्पित किया था। उपस्थित लोगों में लाला हरदयाल की 94 वर्षीय पोती, जनरल शाहनवाज खान की परपोती, दिल्ली से जुड़े अन्य प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के अलावा मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।
उपराज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास, दिल्ली के हर आम निवासी की कहानी थी। इस समारोह में उन्होंने घोषणा की कि दिल्ली में जल्द ही स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों का एक स्मारक/संग्रहालय स्थापित किया जायेगा। उन्होंने रेखांकित किया कि स्वतंत्रता के बाद की पीढ़ियां भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कुछ बडे़ नामों को ही जानकर बड़ी हुई हैं। श्री सक्सेना ने आगे कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लाखों लोग ऐसे थे जिन्होंने अपने नाम और प्रसिद्धि के लिए नहीं बल्कि सिर्फ भारत की आजादी के लिए ही संघर्ष किया। भारत की आजादी के 75 साल को ’आजादी का अमृत महोत्सव’ के रूप में मनाए जाने वाले इस पर्व के दौरान इन गुमनाम नायकों को जानने और याद करने का यह उचित समय और सच्ची श्रृद्धांजलि है। उपराज्यपाल ने जोर देकर कहा कि हमारे समकालीन इतिहास में इन गुमनाम नायकों को उकेरने और लिपिबद्ध करने की जरूरत है ताकि भावी पीढ़ी इनके बारे में जान सके।
लाखों अन्य वीरों के अलावा पुस्तक में वर्णित 16 स्वतंत्रता सेनानियों के साहस, वीरता और जुनून को याद करते हुए, उपराज्यपाल ने दिल्ली के निवासियों से स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिबद्धता और समर्पण को आत्मसात करने तथा ’अमृत काल’ के अगले 25 वर्षों में राष्ट्र निर्माण के कार्य में आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे पहले दिल्ली को बेहतर बनाने की दिशा में काम करें और फिर भारत को सबसे उन्नत देश बनाने के लिए खुद को समर्पित करें, ताकि जब हम 2047 में स्वतंत्रता के 100 वर्ष मना रहे हो तब देश विश्व के अग्रणी विकसित देशों में सबसे ऊपर हो। उपराज्यपाल ने आगे कहा कि दिल्ली को वायु और जल प्रदूषण मुक्त बनाने, यमुना की सफाई, कचरे के पहाड़ों को समतल करना, शासन में सुधार और सभी के लिए आवास, ऐसे लक्ष्य थे जिन पर काम शुरू हो चुका है और उन्हें जल्द से जल्द पूरा करने की आवश्यकता है।
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