Address of Hon’ble Lt. Governor on the occasion of All India Speakers' Conference organized by Delhi Assembly.

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  • माननीय केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्रीश्री अमित शाह जी

  • माननीय केंद्रीयसंसदीय कार्य मंत्रीश्री क्रेन रिजुजू जी,

  • माननीय मुख्यमंत्री श्रीमतीरेखा गुप्ता जी

  • माननीय अध्यक्ष दिल्लीविधानसभाश्री विजेंद्र गुप्ता जी

  • माननीय उपाध्यक्ष दिल्लीविधानसभाश्री मोहन सिंह बिष्ट जी,

  • एवं विभिन्न राज्यों से यहाँ उपस्थित विधायी निकायों के सम्माननीय पीठासीन सभापति और अध्यक्ष गण

आज ‘All India Speakers Conference-2025’ के इस महत्वपूर्ण अवसर परआप सभी का हृदय से स्वागत करते हुएमुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।

  1. यह दो दिवसीयअखिल भारतीय सम्मेलन’ भारतीय लोकतंत्र की शक्तिनिरंतरता एवं सजीवता का उत्सव है। हमारी संसदविधानसभाएँ एवं विधानपरिषदेंभारत की लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था की आधारशिला हैंऔर आप सभी इन निर्वाचित निकायों के पीठासीन अधिकारी होने के नातेहमारी लोकतांत्रिक संरचना को सुदृढ़ और सशक्त बनाने की बड़ी जिम्मेदारी का निर्वहन करते है।

     

  2. This historic and magnificent building, where we have gathered today, used to house the Imperial Legislative Council and Central Legislative Assembly - the then Parliament of India - from 1912 to 1926.

     

  3. It was in this building that Shri Vithalbhai Patel served as the Presiding Officer of the Central Legislative Assembly. Being present in this building complex today, is a matter of pride in itself. 

माननीय गणमान्यजन,

  1. भारतीय संसदहमारे विधानसभा और विधान परिषद, 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओंअभिलाषाओं और मनःस्थिति का प्रतिनिधित्व करती हैं। ये Legislative Bodies कठिन संघर्षों और संग्राम से अर्जित स्वतंत्रताऔर लोकतंत्र की जीती-जागती मिसाल हैं।

  2. वर्तमान में भारतीय विधायी निकायों का जो स्वरूप आज हम देख पा रहे हैंउसकी यात्रा चुनौतीपूर्ण रही है। 

    Origins of the modern day legislative process in India can be traced back to the Royal Charter of 1601 which authorized the Governor and the East India Company "to make, ordain and constitute such and so many laws, constitutions, orders and ordinances”, as shall seem necessary and convenient for good government.

  3. कलकत्ता ब्रिटिशइंडियनएसोसिएशन,  नेवर्ष 1852 मेंभारतमेंएकविधानमंडलकीस्थापनाहेतुब्रिटिशसंसदकोप्रार्थना-पत्रलिखा।सम्भवतःयहपहलाअवसरथा,  जबविधायीसुधारोंकेविषयपर,  भारतीयमतकोस्पष्टरूपसेव्यक्तकियागया।

  4. चार्टर Act, 1853 के साथ,  विधायी परिषद की कार्यवाही में चर्चाएँ,  लिखित रूप में न होकर,  मौखिक रूप में होने लगीं और विधानमंडल को अपने स्वयं के नियम एवं कार्यप्रणाली बनाने का अधिकार मिला। वर्ष 1856 में जनता को परिषद की कार्यवाही देखने की अनुमति तथा समाचार पत्रों को कार्यवाही की रिपोर्टिंग की अनुमति दी गई। हालांकि परिषद में तब किसी भारतीय की भागीदारी नहीं थी। सभीस दस्य यूरोपीय थे।

  5. भारत में वार्षिक बजट प्रस्तुत करने की व्यवस्था  1860 में हुई। 1892 के अधिनियम के अंतर्गत,  केंद्रीय एवं प्रांतीय परिषदों को पहली बार Financial  Provisions की आलोचना के साथ-साथ प्रश्न पूछने,  और सरकारी सदस्यों से जवाब-तलब करने का अधिकार मिला। 

     

  6. हमारे Legislative Bodies ने तब से लेकर अब तकस्वतंत्र भारत के संविधान निर्माणदेश के बंटवारे के फ़ैसलेऔर अनेक महत्वपूर्ण कार्यों के संपादन के साथप्रगतिशीलगरिमामय और स्वायत्त राष्ट्र के निर्माण मेंमुख्य भूमिका निभाई है। 

  7.  मेरा मानना है किसंसदीय कार्यवाहियो में अनुशासनशिष्टाचार और नियमों का अनुपालन अनिवार्य है। संसदीय प्रक्रियाओं की निर्धारित सीमाओं के अंतर्गतअसहमति को गरिमा और मर्यादा के साथ व्यक्त किया जाना चाहिए। 

  8. सफ़ल लोकतंत्र तीन ‘D’ पर आधारित होता हैDebate, Dissent और Decision, यानि बहसअसहमति और निर्णय। इसमें चौथे और पाँचवें ‘D’ अर्थात Disruption और Disrespect के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। 

  9. To the Members of this Assembly, as indeed, the Presiding Officers present here today, I would like to remind about the functioning of Delhi Assembly from 2015 to 2025. We have witnessed how special assembly sessions were convened by the Government, only for the purpose of abusing opposition leaders and top Constitutional functionaries of the country. Sessions were abruptly concluded, without performing any legislative business and the Assembly often remained in session, without being prorogued for years. The Privilege of the House was used as a shield against any legal action. The committees of the House were misused to target the bureaucracy and journalists. Such abuse of the House is unprecedented.

  10.  अतः यह अनिवार्य है कि प्रत्येक विधायक स्वयं को बेहतर संसदीय आचरण के लिए प्रतिबद्ध करें और हमारे Institutions में घटते जन-विश्वास को पुनः स्थापित करने में सहयोग दें। उन्हें चाहिए कि वे अपने-अपने सदनों के मंच का उपयोग जनता की सेवा के लिए करेंन कि केवल राजनीतिक टकराव के लिए।

  11.  इस परिप्रेक्ष्य मेंपीठासीन अधिकारियों  की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। आप पर यह दायित्व है कि सदन में अनुशासन बनाए रखेंबहुमत के जनादेश से बनी सरकार का सम्मान करते हुएउतनी ही शिद्दत से विपक्ष के अधिकारों की भी रक्षा करेंऔर यह सुनिश्चित करें कि सदन रचनात्मक बहस का मंच बने। मेरा मानना हैकि इस ध्येय को हासिल करने मेंमाननीय प्रधानमंत्रीश्री नरेंद्र मोदी जी कासबका साथसबका प्रयास और सबका सम्मान” का संदेशहमारे लिए Pole Star का काम कर सकता है।

 

माननीय गणमान्यजन,

राष्ट्रीय राजधानी के रूप में दिल्लीभारतीय गणराज्य कीविविधता में एकता की भावना का प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए आज इस सम्मेलन के माध्यम सेहम सब  Democracy, Dialogue और Institutional Integrity के प्रति, हमारे नए-संकल्प का संदेशपूरे राष्ट्र में पहुंचाने का प्रयास करें । 

इन्हीं विचारों के साथमैं एक बार पुनः आप सभी का हार्दिक स्वागत करता हूँऔर इस सम्मेलन की सफलता की मंगलकामना करता हूँ।

धन्यवाद।

जय हिन्द!

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