माननीय उपराज्यपाल श्री वी.के. सक्सेना द्वारा की गई गंभीर पहल के परिणामस्वरूप, आज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की विभिन्न मस्जिदों और ईदगाहों में ईद की नमाज़, बिना किसी अप्रिय घटना और सार्वजनिक स्थलों और सड़कों पर बिना किसी व्यवधान के, केवल मस्जिद परिसर के अंदर ही अदा की गई। जैसा कि माननीय उपराज्यपाल के साथ की 03.04.2024 को हुई बैठक में मुस्लिम समुदाय के धार्मिक नेताओं और विभिन्न मस्जिदों के प्रमुख इमामों ने इस बारे में चर्चा कर अपनी सहमति व्यक्त की थी, पहली बार, ईद की नमाज़ केवल मस्जिद परिसर के भीतर अदा की गई और एक भी श्रद्धालु ने सड़कों और गलियों में नमाज़ अदा नहीं की।
बैठक में माननीय उपराज्यपाल ने मस्जिदों में नमाज़ अदा करने के लिए क्रमबद्ध समय का विकल्प सुझाया था, जिससे श्रद्धालु अलग-अलग समय पर नमाज़ अदा कर सकें, ताकि सड़कों पर होने वाली भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। इस सुझाव को धार्मिक नेताओं/इमामों ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया और लगभग सभी मस्जिदों में, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होते थे, नमाज दो पालियों में अदा की गई, जिससे भीड़ को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिली।
तदनुसार, इस संबंध में दिल्ली पुलिस आयुक्त को आवश्यक कदम उठाने के लिए निर्णयों से अवगत कराया गया। दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया गया था कि फील्ड अधिकारी नमाज़ के अलग-अलग समय की घोषणा करने के लिए स्थानीय इमामों के साथ परामर्श करें, ताकि सार्वजनिक सड़कों पर नमाज़ अदा न की जा सके। इस तरह से यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह पर्व शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो और यातायात में भी किसी प्रकार का कोई व्यवधान उत्पन्न न हो सके।
स्थानीय डीसीपी/डीएम को क्षेत्र के इमामों के अनुरोध पर, ऐसी स्थिति में जब किसी समय श्रद्धालुओं के लिए कोई तय स्थान नमाज़ अदा करने के लिए उपयुक्त न हो, तो इसके लिए वैकल्पिक सार्वजनिक स्थान प्रदान करने का निर्देश दिया गया था।
माननीय उपराज्यपाल श्री वी.के. सक्सेना ने लोगों को ईद की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए, मुस्लिम समुदाय और उसके नेताओं को सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया, जिसके परिणामस्वरूप अनिवार्य रूप से शांतिपूवक यह पर्व मनाया गया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में यह पहली बार हुआ है कि किसी भी श्रद्धालु ने सड़कों और गलियों में नमाज़ नहीं पढ़ी और इसलिए शरारती तत्वों/निहित समूहों द्वारा भड़काने की किसी भी घटना को टाल दिया गया।
बैठक में, उपराज्यपाल ने इस बात पर जोर दिया था कि सार्वजनिक स्थानों का उपयोग, न केवल शहर में यातायात और लोगों की नियमित आवाजाही को खतरे में डालता है, बल्कि निहित स्वार्थ वाले तत्वों को आपसी फूट पैदा करने और सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने का अवसर भी प्रदान करता है।
माननीय उपराज्यपाल ने सुझाव था दिया कि यदि श्रद्धालुओं की संख्या, मस्जिदों और ईदगाहों में नमाज़ के लिए रखी जाने वाली क्षमता से अधिक है, तो प्रशासन - पुलिस और नागरिक - इसके लिए पार्कों आदि में अतिरिक्त अस्थायी स्थान प्रदान कर सकता है।
इमामों और धार्मिक नेताओं ने, माननीय उपराज्यपाल द्वारा उठाई गई चिंताओं की सराहना करते हुए, नमाज़ के लिए क्रमबद्ध समय के विकल्प को अपनाने और इसके अतिरिक्त सार्वजनिक स्थानों का उपयोग करने के सुझाव को सर्वसम्मति से स्वीकार किया। इसके अलावा, विभिन्न मस्जिदों से भी ईद में नमाज़ के लिए अलग-अलग समय के संबंध में श्रद्धालुओं को सलाह जारी की गई, जिसका नेताओं और श्रद्धालुओं ने विधिवत पालन किया।
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