- उपराज्यपाल ने दिल्ली के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में 128 अस्थायी चिकित्सा पदों को स्थायी पदों में बदलने की मंजूरी दी।
- चिकित्सा सेवाओं में व्याप्त एडहाकिज्म और पेशेवर असुरक्षा को दूर करना ही चिकित्सक दिवस पर चिकित्सकों का समुचित सम्मान।
- सरकारी विभागों में कर्मचारियों की एडहाक नियुक्ति स्वीकार्य नहीं - उपराज्यपाल ने रिक्त पदो को जल्द से जल्द अपग्रेड करने और भरने के निर्देष दिये।
उपराज्यपाल, श्री वी.के. सक्सेना ने चिकित्सक दिवस पर चिकित्सकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि चिकित्सकों के लिए सच्चा सम्मान उनके लिए सर्वोत्तम सेवा शर्तें, अनुकूल कार्य वातावरण और पेशेवर सुरक्षा प्रदान करना होगा। उनहोंने कहा कि डाक्टरों पर बहुमूल्य जीवन बचाने के साथ-साथ राष्ट्र के स्वास्थ्य को सशक्त करने की भी जिम्मेदारी है।
इसी आशय से, जब से उन्होंने पदभार संभाला है, श्री वी.के. सक्सेना दिल्ली सरकार द्वारा संचालित विभिन्न अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं में काफी समय से लंबित कर्मियों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए प्रयासरत हैं। राष्ट्रीय राजधानी के सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में व्यापक एडहाकिज्म को समाप्त करने की दिशा में उन्होंने चुपचाप परन्तु त्वरित निर्णय लिये हैं।
द्वारका स्थित इंदिरा गांधी अस्पताल के लिए कुछ दिन पहले विभिन्न श्रेणियों के 918 पदों को मंजूरी देने के बाद, उपराज्यपाल ने कल 128 अस्थायी पदों को स्थायी में बदलने की मंजूरी दी। यह ध्यान योग्य है कि, इनमें से कई मामले ऐसे भी है जो कि सन् 2011 और 2012 से रिक्त पडे हैं और उन्हें यदाकदा अस्थायी आधार पर संचालित किया जाता रहा है। उपराज्यपाल के इस निर्णय से डॉ.बी.एस. अम्बेडकर मेडिकल कॉलेज में 76, गुरु तेग बहादुर अस्पताल में 40, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में 09, और लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में 03, पदों पर चिकित्साकर्मियों की स्थायी नियुक्ति हो सकेगी।
जिन पदों को स्थायी किया गया है, उनमें सहायक प्रोफेसर - हड्डी रोग, रेडियोलॉजी में वरिष्ठ रेजिडेंट, सर्जन, डेंटल सर्जन, जूनियर रेजिडेंट, स्टाफ नर्स, क्लिनिकल इंस्ट्रक्टर और रेडियोग्राफर आदि शामिल हैं।
उपराज्यपाल ने अधिकारियों को वर्षों से लंबित सभी रिक्तियों को जल्द से जल्द अपग्रेड करने और भरने के साथ-साथ उनको स्वीकृति कराये जाने के निर्देश भी दिये। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर इससे बड़े पैमाने पर लोगों को बेहतर सेवाएं प्राप्त होंगी, वहीं दूसरी ओर सेवा शर्तो में सुधार से चिकित्सा पेशेवर प्रोत्साहित होंगे और उनका मनोबल बढ़ेगा। यह ऐसे लोग हैं जो कि कठिन समय में भी लोगों की सेवा करने में सबसे आगे रहते हैं।
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